Tuesday, April 10, 2012

संस्कृति के नाम पर विकृति का यशोगान ---मेरा भारत महान

"राम और मरा में अंतर क्या है ?
पहला जीवन की शर्तों का आगमन है और दूसरा बहिर्गमन
अल्लाह और मल्लाह के बीच जो जिस्मानी दरिया बहता है
जमीन पर नूर और जन्नत में हूर पर फातिमा के लिए क्या फतवा है ?
स्वामी विवेकानंद की संस्कृति और पीटर इंग्लॅण्ड की शर्ट का समीकरण समझो
इनके बीच फंसा बाजार का सेंसेक्स और व्यवहार का फेयर सेक्स धराशाही है
मंदिर में काली और बाज़ार में फेयर एण्ड लवली  का बोलबाला है
इस बीच दसवीं भी न पास कर सका एक बल्लेबाज शतकों के शतक पर अटका
फिर उसने एक भुखमरे देश में शतको का शतक बनाया
उस दिन देश तो हार गया था पर वह जीत गया था
फिर उसने ली उस पेप्सी की डकार जो उसे देख कर हमारे नौजवान और ज्यादा पीते हैं
सुना है सचिन अपने बच्चों को पेप्सी नहीं पिलाता
भगवानो में महेश जो युगों को अमृत और पापियों को दारू पीने की व्यवस्था करते थे
यहाँ तो अब क्रिकेट का धोनी है जो नौजवानों में कर रहा है दारू का प्रचार
सुना है भारत में सर्वाधिक बोर्नविटा पी जाती है तभी तो खेल में हम फिसड्डी हैं
और चालीस फीसदी बच्चे हैं कुपोषण का शिकार
कातिल थे वह जिन्होंने ईसा मसीह के क़त्ल के लिए सलीब बनाई थी और उसे टांगा था
हम साल दर साल नई नई सलीबें बना रहे हैं और  ईसा को सलीब पर टांग रहे हैं
माल्थूजियन थ्योरी ऑफ़ पोपूलेसन बारह बच्चों के बाप कलीम मियाँ के आगे नतमस्तक है
4 बीबी और महज 16 बच्चों के बाप कलीम मियाँ को वेलेंटाइन को जानने की जरूरत भी क्या है ?
शिव की पूजा पद्धति मुझे विकृति लगती है आपको संस्कृति लगे तो बताना
और अपनी माँ बहनों को एक बार फिर किसी के लिंग उपासना के लिए लेजाना
मैं तो चला शिव का चरित्र पूजने
तुम्हें चरित्र नही पूजना था तो पूजते चित्र
तुम जिसे पूजते हो वह न चरित्र है न चित्र
न चरित्र ,न चित्र यह है विचित्र
संस्कृति के नाम पर विकृति का यशोगान ---मेरा भारत महान ."
---- राजीव चतुर्वेदी

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

जब दिशा का आभाव हो तो संस्कृति के विकल्पों की खोज में जुट जाती है नयी पीढ़ी। माया मिली न राम।