Tuesday, July 24, 2012

वक्त की टूटी हुई ये चूड़ियाँ

"वक्त की टूटी हुई ये चूड़ियाँ,
होंठ तेरे हों या मेरे सच नहीं कह पायेंगे."
---राजीव चतुर्वेदी 

No comments: