Friday, May 31, 2013

क्षितिज के पार मरीचिका विश्राम करती है

" चीखती चिड़िया
और
चील की शान्ति
में से
क्या चुनोगे ?
सच बताना
महक फूलों की अच्छी थी
तो तोड़ा क्यों उन्हें ?
चहक चिड़िया की अच्छी थी
तो पिंजडा क्यों बना ?
तुम सभी के थे
तो मेरे क्यों हुए ?
शिखर पर तुम चढ़े
फिर लौट आये क्यों ?
ठहर जाओ
क्षितिज के पार मरीचिका विश्राम करती है
ठहरो तुम ज़रा
तुम्हारी गतिशीलता भ्रम बनाती है
सच तो यह है कि
सिद्धांत सभी स्थिर हैं सारे .
" ----राजीव चतुर्वेदी

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

भ्रम में तो रुक कर ही सोचना होता है।