Thursday, December 5, 2013

सुनो...तुम पूछती हो न कि तुमसे कितना प्यार करता हूँ मै...??

"सुनो...
तुम पूछती हो न कि
तुमसे कितना प्यार करता हूँ मै....??

यह तुमने क्या किया ?
मैं कहना तो चाहता था "असीम "
पर रिश्तों की दीवारें लाँघ कर आतीं
हर रिश्ता एक सीमा है
एक प्रकार है
एक संस्कार है 

एक प्राचीर है जिसकी अपनी ही दीवार है
एक अवधि है
एक परिधि है
यह तुमने क्या किया ?
एक रिश्ते के नाम में एक अहसास को सीमित किया
मैं तुमसे असीम प्यार करना चाहता था
पर यह तुमने क्या किया ?
हमारे अस्तित्व के बीच बहती हवाओं से एक अनवरत अहसास को
एक रिश्ते का नाम दिया --- यह तुमने क्या किया ?
तुम बेटी हो सकती हो
बहन हो सकती हो
पत्नी हो सकती हो
प्रेमिका हो सकती हो
तुम कुछ भी हो सकती हो पर सीमाओं में
इसी लिए मैं तुमसे सीमित प्यार करता हूँ
असीम नहीं

सुनो...
तुम पूछती हो न कि
तुमसे कितना प्यार करता हूँ मै....??

यह तुमने क्या किया ?
मैं कहना तो चाहता था "असीम "
पर रिश्तों की दीवारें लाँघ कर आतीं
। " ---- राजीव चतुर्वेदी


1 comment:

Anonymous said...

waah sir kya likhte ho aap