Tuesday, January 6, 2015

परशुराम राजतंत्र का विनाश करने वाले क्रांतिकारी थे न कि क्षत्रियों का



"अल्पज्ञान अर्थ का अनर्थ कर देता है । परशुराम राजतंत्र का विनाश करने वाले क्रांतिकारी थे
न कि क्षत्रियों का विनाश करने वाले बिलकुल वैसे ही जैसे प्रकारांतर में वामपंथी क्रांति के प्रतीक चरित्र चे ग्वेरा थे। "भुज बल भूमि भूप बिन कीन्ही सहिस बार महिदेवन दीनी " --- यहाँ भूप माने राजा और महिदेव माने किसान है । अर्थात परशुराम ने बाहुबल की दम पर भूमि से राजतन्त्र समाप्त कर दिया और सैकड़ों बार भूमि पर मूल जोत करने वाले किसानों को अधिकार दीया ।

परशुराम का विरोध करने वाले मूढ़ लोग यह नहीं देखते कि अत्याचारी हैहय वंशीय क्षत्रियों से राज्य छीनकर उन्होंने कोई खुद नहीं रखा था बल्कि प्रजावत्सल क्षत्रिय राजाओं को ही दिया था। उन्होंने पृथ्वी से २१ बार अत्याचारी हैहयवंशी क्षत्रियों का सफाया किया था न कि पूरी क्षत्रिय जाति का। गुणगान करने वाले कवियों ने अतिशयोक्ति अलंकार में क्षत्रियों का संहार लिख दिया। यदि पृथ्वी से पूरी क्षत्रिय जाति का संहार किया होता तो दोबारा क्षत्रिय कहाँ से होते ? साथ ही उन्हें जातिवादी कहने वाले भी यह नहीं जानते कि दुनिया के प्राचीनतम मार्शल आर्ट कलरिपयट्टु के संस्थापक परशुराम ने इसकी शिक्षा केरल के निम्न जाति के नायर लोगों को दी ताकि वह अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों का डट कर मुकाबला कर सकें ।

परशुराम भृगु वंश से थे उनकेपिता ऋषि जमदाग्नि औरमाता रेणुका थी ।भगवान् परशुराम की जन्मस्थली वर्तमान् का इंदौर
शहर (मध्यप्रदेश) है । उनका बाल्यकाल मंदाग्नि पर्वत निकट वज्रेश्वरी,महाराष्ट्र मेँ बीता । परशुराम ने महैन्द्र पर्वत पर ध्यानसाधना की जो वर्तमान् मेँ ओडिशा के पश्चिम क्षेत्र मेँआता है । गणेश
जी को एकदंत बनाने वाले भगवान् परशुरामही थे। सबरी माला पर्वत पर अय्यप्पा भगवानकी मूर्ति की स्थापना भगवान् परशुराम नेकी थी । केरल मेँ श्री परशुरामस्वामी मंदिर,तिरुअनत्पुरम,भगवान् परशुराम को समर्पित एकमात्र 2000वर्ष पुराना मंदिर है । भगवान् परशुराम द्रोणाचार्य, भीष्म और कर्ण केगुरु थे और भविष्य मेँ उन्हैँ कल्कि भगवानका भी गुरु बनना है । मालाबार और कोँकण अर्थात् केरल, कर्णाटक, गोवा,महाराष्ट्र के समुद्री क्षेत्र
को परशुराम क्षेत्र कहा जाता है।
!!  राजतन्त्र के विरुद्ध जनतंत्र के प्रथम उदघोषक ...जमीदारी उन्मूलन के प्रथम प्रवक्ता पराक्रमी परशुराम की जयन्ती पर बधाई  !!"  ---- राजीव चतुर्वेदी

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